आंखों का रंग अलग-अलग क्यों होता है?

आंखों का रंग अलग-अलग होने का मुख्य कारण होता है मेलनिन (Melanin) नामक पिगमेंट और आनुवांशिकता (Genetics)

🔍 1. मेलनिन (Melanin) का स्तर

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मेलनिन एक प्राकृतिक रंगद्रव्य (pigment) होता है जो आंखों, बालों और त्वचा के रंग को निर्धारित करता है।

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जिनकी आंखों में ज्यादा मेलनिन होता है, उनकी आंखें गहरे भूरे या काले रंग की होती हैं।

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जिनकी आंखों में कम मेलनिन होता है, उनकी आंखें नीली, हरी या हल्की भूरी (hazel) होती हैं।

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🧬 2. आनुवांशिकता (Genetics / वंशानुगत कारण)

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आंखों का रंग हमारे माता-पिता के जीन (genes) से निर्धारित होता है।

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अलग-अलग जीन मेल खाते हैं और इस मेल से आंखों का रंग तय होता है।

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एक ही परिवार में भी आंखों का रंग अलग-अलग हो सकता है।

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🌍 3. नस्ल और स्थान (Ethnicity and Geography)

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कुछ क्षेत्रों में जैसे अफ्रीका और भारत में अधिकतर लोगों की आंखें भूरी होती हैं क्योंकि वहां सूर्य की रोशनी तेज होती है और मेलनिन ज्यादा बनता है।

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यूरोपीय देशों में जहां सूरज की रोशनी कम होती है, वहां नीली या हरी आंखें ज्यादा देखी जाती हैं।

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🔄 4. कुछ मामलों में रोग या उत्परिवर्तन (Mutation)

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कुछ लोगों में विशेष आनुवांशिक बदलाव (genetic mutations) के कारण दुर्लभ रंग जैसे ग्रे, एंबर या बैंगनी आंखें हो सकती हैं।

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अल्बिनिज़्म जैसी स्थिति में आंखों का रंग गुलाबी या लाल दिखाई देता है क्योंकि मेलनिन नहीं बनता।

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👁️ आंखों के रंग के प्रकार (Types of Eye Colour in Hindi)

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1. काला (Black) – Black Eyes

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2. भूरा (Brown) – Brown Eyes

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3. हल्का भूरा (Light Brown / Hazel) – Hazel Eyes

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4. नीला (Neela) – Blue Eyes

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5. हरा (Hara) – Green Eyes

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6. ग्रे (धूसर) – Grey Eyes

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7. एम्बर (गहरे सुनहरे रंग की आंखें) – Amber Eyes

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8. लाल या गुलाबी (कभी-कभी अल्बिनिज़्म में) – Red or Pink Eyes (Rare, usually due to albinism

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9. बैंगनी (Violet – अत्यंत दुर्लभ) – Violet Eyes (Extremely rare)